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Thursday, November 20, 2008

काष्‍ठ पर उतरती मधुशाला

काष्‍ठ पर उतरती मधुशाला


आमतौर पर मधुशाला का नाम सुनते ही लोगों के मस्तिष्‍क में किसी मयखाने का दृश्‍य उभर आता है जहाँ शराब, साकी, पीने वालों की म‍हफिल और छलकते जाम पूरे मयखाने को मदहोश किए रहते हैं। पुस्‍तक विक्रेताओं के पास बिकने वाली कविवर हरिवंशराय बच्‍चन की ''मधुशाला'' के मुखपृष्‍ठ को देखकर किसी को भी ऐसा ही लग सकता है किंतु यदि आप मधुशाला के पृष्‍ठों से होकर मधुशाला के अंदर प्रवेश करेंगे और कविता के प्‍याले में भावों की हाला पिएंगे तो पाएंगे कि आप जीवन की एक उत्‍कृष्‍ट पाठशाला में आ गए हैं। यह पाठशाला आपको जीवन के अनेक महत्‍वपूर्ण पाठ तो पढ़ाती ही है, जीवन की गंभीर समस्‍याओं से उबरने की कला भी सिखाती है। अपने जीवन में शराब की एक बूँद तक कभी न चखने वाले कविवर बच्‍चन जी से ऐसे ही तो पाठों की आशा की जा सकती है।


मधुशाला की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पाठक को उसके वैचारिक धरातल के अनुरूप ही विषय की अतल गह‍राइयों में डुबकी लगाने को विवश कर देती है। इस मधुशाला में मद्यसेवी के लिए हाला की मादकता है, दार्शनिक के लिए जीवन-दर्शन है, राजनीतिज्ञ के लिए शुद्ध राजनीति का उपदेश है, समाज सुधारक के लिए समाज के विद्रूपों से उबरने का समाधान है, समाज के लिए भाईचारे का संदेश है और भग्न हृदय प्रेमी के लिए उसके घावों पर लगाने की एक व्रण-रोपक औषधि है। समाज में व्‍याप्‍त अनेक भेदभावों, विसंगतियों, पाखंडों और आतंक के विरुद्ध सशक्‍त स्‍वर है इस मधुशाला में। जीवन को मधुमय बनाने के लिए इस कृति के अंश शालेय पाठ्यक्रमों में क्‍यों शामिल नहीं किए गए अभी तक, यही बड़े आश्‍चर्य का विषय है।


किंतु बस्‍तर के एक आदिवासी युवा शिल्‍पी अजय मंडावी ने बच्‍चन की इस कालजयी कृति को काष्‍ठ पर उतारने का श्रमसाध्‍य बीड़ा उठाया है। विगत दिनों इस कृति के शिल्‍प के दो नमूने लेकर मंडावी जब श्रीम‍ती जया बच्‍चन जी का आशीर्वाद लेने नई दिल्‍ली स्थि‍त उनके निवास स्‍थान पर पहुँचे, तो उक्‍त शिल्‍प को देखकर वे आश्‍चर्यमिश्रित हर्ष से विभोर हो उठीं। साथ ही मुखपृष्‍ठ को देखकर उन्‍होंने मंडावी को स्‍नेहसिक्‍त डांट भी पिलाई कि यह शराब से संबंधित कृति नहीं है। प्रकाशकों की व्‍यावसायिक बुद्धि के कारण कृति के मुखपृष्‍ठ पर सुराही लिए बाला का चित्र बनाया गया है जो कृति के प्रति भ्रांति उत्‍पन्‍न करता है। उन्‍होंने उक्‍त कृति को बनाए जाने पर प्रदर्शनी लगाए जाने की बात कही। काष्‍ठ पर उतरती मधुशाला के मुंबई एवं इलाहाबाद में प्रदर्शन हेतु तैयार हो जाने की आशा है। इस प्रस्‍तुति की विशेषता है कि मधुशाला के पारंपरिक मुखपृष्‍ठ के कलेवर से भिन्‍न नवीन चित्रांकन एवं नवसंदेश के साथ यह मधुशाला नए रूप में सामने आ रही है। मधुशाला से प्राप्‍त धनराशि का सदुपयोग बस्‍तर अंचल के नक्‍सल पीड़ि‍तों एवं बालिकाओं के स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा के क्षेत्र में किया जावेगा। मधुशाला को नए रूप में प्रस्‍तुत करने के लिए कार्यरत समूह के सदस्‍य हैं:


शिल्‍पीगण : कु. गैंदी, कु. एमन, कु. संतोषी, कु. यमुना, कु. कामिनी, कु. सनाय, वैभव, नरेंद्र, विजय एवं नयलू


शिल्‍पकार परिचय लेखक : अशोक चतुर्वेदी


परिकल्‍पना एवं श्रद्धा सुमन : डॉ. कौशलेंद्र उदेतपुरिया


मार्गदर्शन : रामधार कश्‍यप राज्‍यसभा सांसद एवं आलोक कश्‍यप


कंप्‍यूटर एवं स्‍टेशनरी कार्य : प्रहलाद अग्रवाल 'किटू' एवं कु. यामिनी चौहान


मुख्‍य शिल्‍पकार : अजय मंडावी


डॉ कौशलेंद्र, प्रमुख, योजना एवं बौद्धिक प्रकोष्‍ठ, धनेली हस्‍तशिल्‍प प्रशिक्षण केंद्र, कांकेर


आइए, इस बृहत कार्य के सफलतापूर्वक संपन्‍न होने की कामना करें।

5 comments:

  1. Respected Kaushlendra Ji
    Greetings to You
    Thank You, for visiting one of my blogs lifemazedar.blogspot.com and encouraging me. Actually Avtar Meher Baba is the last Avtar of the age whom I pray. To see his photo plases log on to avtarmeherbaba.blogspot.com or if you want to know about Avtar Meher Baba in detail please log on to www.trustmeher.com
    You can write to me at chandar30@gmail.com for other querries.
    Jai Baba and Regards
    Dr. Chandrajiit Singh

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  2. पहली बार आया आपके ब्लाग पर्। अच्छा लगा पढ कर्। आलोक कश्यप मेरे मित्र हैं।

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  3. Respected Kaushlendra Ji
    Jai Baba to You,
    You can read on of teh most important boods by Avtar Mehe baba. It is Sicourses by Avtar Meher Baba. It is available on line and its address is discoursesbymeherbaba.org.
    You can also visit avatarmeherbabatrust.org or turstmeher.com to know about Meher Baba.
    Lots of Love
    Dr, Chandrajiit Singh

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  4. Meri Jankari Me Wooden Madushala poori Ban gai hai.
    lekin uska pradrashan Raipur ke alava aur kahi nahi hua Hai.
    Subodh

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  5. आपका कहना बिलकुल सही है , अर्थाभाव के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है .......अभी तक क़र्ज़ में डूबे हैं .....

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